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बी.एड. सेमेस्टर-1 प्रथम प्रश्नपत्र - शिक्षा के दार्शनिक परिप्रेक्ष्य

सरल प्रश्नोत्तर समूह

प्रकाशक : सरल प्रश्नोत्तर सीरीज प्रकाशित वर्ष : 2023
पृष्ठ :232
मुखपृष्ठ : ई-पुस्तक
पुस्तक क्रमांक : 2697
आईएसबीएन :0

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बी.एड. सेमेस्टर-1 प्रथम प्रश्नपत्र - शिक्षा के दार्शनिक परिप्रेक्ष्य


जे. कृष्णामूर्ति

प्रश्न- शिक्षा का अर्थ एवं उद्देश्यों, पाठ्यक्रम, शिक्षण-विधि, शिक्षक का स्थान, शिक्षार्थी को स्पष्ट करते हुए जे. कृष्णामूर्ति के शैक्षिक विचारों की व्याख्या कीजिए।

अथवा
जे. कृष्णामूर्ति के शैक्षिक विचारों की वर्तमान समय में प्रासंगिकता पर एक निबन्ध लिखिए।
सम्बन्धित लघु उत्तरीय प्रश्न
1. जे. कृष्णामूर्ति के शैक्षिक विचार संक्षेप में बताइए।
2. जे. कृष्णामूर्ति के अनुसार शिक्षा का अर्थ तथा उद्देश्य स्पष्ट कीजिए।
3. जे. कृष्णामूर्ति द्वारा प्रतिपादित पाठ्यक्रम तथा शिक्षण विधि का उल्लेख कीजिए।
4.  जे. कृष्णामूर्ति के अनुसार शिक्षा तथा शिक्षार्थी कैसे होने चाहिए ?

उत्तर -

जे. कृष्णामूर्ति के शैक्षिक विचार
(Educational Thoughts of J. Krishnamurti)

जे. कृष्णामूर्ति के शैक्षिक विचारों में उनके दार्शनिक चिन्तन की ही विशेषताएँ परिलक्षित होती हैं। उनका कहना था कि यदि इन विचारों का भागी बालकों को बनाया जाये तथा इसी के अनुरूप शिक्षा दी जाये तो वास्तव में एक नवीन संस्कृति तथा नवीन विश्व का निर्माण सम्भव है। उनका कहना है कि आज 'विश्व में जिस प्रकार शिक्षाशालाओं की संख्या तेजी से बढ़ रही है उसी प्रकार उनमें छात्रों की संख्या में भी तीव्र वृद्धि हो रही है। लाखों की संख्या में किताबों का प्रकाशन हो रहा है तथा शिक्षा के क्षेत्र में नित नयी खोजें भी हो रही हैं परन्तु उस शिक्षा का कोई लाभ नहीं मिल पा रहा है। राष्ट्रीय और अन्तर्राष्ट्रीय मतभेद तेजी से बढ़ रहे हैं। जाति, धर्म, सम्प्रदाय व भाषा के नाम पर युद्ध हो रहे हैं। आतंकवाद, जनसंख्या, पर्यावरण, भ्रष्टाचार आदि कई समस्याएँ मानव जीवन को अत्यधिक जटिल बना रही हैं। इनके पीछे केवल एक ही कारण है और वह है दूषित शिक्षा प्रणाली। कृष्णामूर्ति जी का मत है कि विश्व की सभी समस्याएँ इतनी गहरी हैं कि उनकी चपेट में पूरी शिक्षा व्यवस्था भी आ गयी है।

कृष्णामूर्ति के अनुसार शिक्षा का अर्थ
(Meaning of Education According to Krishnamurti)

कृष्णामूर्ति जी ने शिक्षा के अर्थ को निम्न बिन्दुओं में स्पष्ट किया है -

1. शिक्षा सीखने की कला से सम्बन्धित है।
2. शिक्षा का वास्तविक अर्थ धर्म के वास्तविक रूप को समझना
3. शिक्षा ऐसी हो जो आत्मबोध कराए।
4. शिक्षा का तात्पर्य मन को परम्पराओं के बोझ से मुक्त करना है।
5. शिक्षा का तात्पर्य है सत्य की खोज करना।
6. शिक्षा का तात्पर्य है कार्य करने की क्षमता का विस्तार।
7. शिक्षा का तात्पर्य है कार्य को मन लगाकर करना।

शिक्षा के उद्देश्य
(Aims of Education)

कृष्णामूर्ति ने शिक्षा का मूल उद्देश्य एक संतुलित मानव का विकास करना बताया है। उनका कहना है कि यह संतुलित मानव ऐसा हो जो चेतनायुक्त हो, सद्भावना से परिपूर्ण हो, जिसे जीवन के अर्थ व उद्देश्य का ज्ञान हो, जाति, धर्म, संस्कृति, क्षेत्र इत्यादि किसी भी आधार पर पूर्वाग्रहों एवं पूर्व-धारणाओं से मुक्त हो, द्वेष, घृणा तथा हिंसात्मक प्रवृत्तियों से दूर हो, वैज्ञानिक बुद्धि तथा आध्यात्मिकता में समन्वय स्थापित करने में सक्षम हो, मानव मात्र के जीवन को सुखमय बना सके, स्वयं के लिए नवीन मूल्यों को तैयार कर सकता हो तथा एक नवीन संस्कृति व नवीन विश्व का निर्माण कर सकता हो। शिक्षा के मूल उद्देश्य को प्राप्त करने के लिए निम्नलिखित उद्देश्यों को प्राप्त करना भी अति आवश्यक है -

1. सृजनात्मकता का विकास,
2. व्यावसायिक प्रशिक्षण,
3. संवेदनशीलता का विकास,
4. वैज्ञानिक बुद्धि का विकास,
5. वास्तविक चरित्र का विकास
6. शारीरिक विकास,
7. मानसिक विकास,
8. सांस्कृतिक विकास,
9. आध्यात्मिक मूल्यों का विकास,
10. सामाजिक विकास।

पाठ्यक्रम
(Curriculum)

.कृष्णामूर्ति के अनुसार बालकों में प्रभावशाली विधि से व्यक्तिगत, सामाजिक और राष्ट्रीयता की भावना के विकास के लिए एक अच्छे पाठ्यक्रम का निर्माण अत्यन्त आवश्यक है। उपर्युक्त बिन्दुओं को ध्यान में रखते हुए कृष्णामूर्ति ने पाठ्यक्रम निर्माण में निम्नलिखित बिन्दुओं के समावेश पर बल दिया है.

1. नैतिक गुणों की शिक्षा - कृष्णामूर्ति के अनुसार आधुनिक युग में तकनीकी ज्ञान के साथ-साथ नैतिक गुणों का विकास भी बहुत महत्वपूर्ण है। शिक्षा मस्तिष्क से सम्बन्धित हो इसके लिए नैतिक गुणों का समावेश बहुत ही आवश्यक है।

2. क्रियाशीलता - कृष्णामूर्ति ऐसे पाठ्यक्रम के पक्षधर हैं जो बालकों में ज्ञान के विकास के साथ-साथ उन्हें क्रियाशील भी बनाए।

3. अधिगम एवं उपयोगिता - पाठ्यक्रम ऐसा हो जो अधिगम में सहायता तथा भावी जीवन के लिए उपयोगी हो। अर्थात् पाठ्यक्रम बालकों की आवश्यकताओं को पूरा करने वाला हो। उन्होंने पाठ्यक्रम में लिखने पर बहुत जोर दिया है।

4. उद्देश्यपूर्ण पाठ्यक्रम - शिक्षा का पाठ्यक्रम बालकों के लिए उद्देश्यपूर्ण होना अत्यधिक आवश्यक है। यदि पाठ्यक्रम उद्देश्यरहित होगा तो ऐसे पाठ्यक्रम के अध्ययन का बालक को कोई लाभ नहीं होगा। अतः बालकों के लिए ऐसी पाठ्य सामग्री की आवश्यकता है जो उसके उद्देश्य को पूर्ण कर सके।

5. संतुलित पाठ्यक्रम - कृष्णामूर्ति के अनुसार पाठ्यक्रम ऐसा होना चाहिए जो सभी व्यक्तियों के लिए लाभदायक हो, इसलिए उन्होंने संतुलित पाठ्यक्रम पर बल दिया है।

शिक्षण विधियाँ
(Methods of Teaching)

कृष्णामूर्ति व्यावहारिक और सत्यवादी प्रकृति वाले व्यक्ति थे। वे अपने समय की शिक्षा की प्रचलित विधियों को सही नहीं मानते थे। उनके अनुसार करके सीखना तथा स्वयं के अनुभव से सीखना सबसे सर्वोत्तम माना है। वे प्राकृतिक पर्यावरण को शिक्षा का केन्द्र बनाने तथा समस्त ज्ञान व क्रियाओं को उनके माध्यम से विकसित करने के पक्षधर थे। वे ऐसी शिक्षण विधि चाहते थे. जिसमें छात्र व अध्यापक के बीच दूरी कम हो और छात्र निष्क्रिय श्रोता न रहकर अनुसंधानकर्ता, निरीक्षणकर्ता तथा प्रयोगकर्ता के रूप में हो। उन्होंने शिक्षण प्रणाली में निम्नलिखित तथ्यों को शामिल करने पर बल दिया है -

1. छात्र की प्रकृति के साथ सम्बन्ध बनाया जाए।
2. छात्र की मानसिक क्षमता जिस प्रकार की हो उसी के अनुरूप शिक्षण पद्धति का चयन करना चाहिए।
3. शिक्षण विधि में ध्यान क्रिया को भी शामिल किया जाए।
4. अनुभव के आधार पर बालक को सीखने के लिए प्रेरित किया जाए।

कृष्णामूर्ति के अनुसार बालक के सम्पूर्ण विकास के लिए निम्न शिक्षण विधियाँ आवश्यक हैं -

(i) वार्तालाप,
(ii) अध्ययन,
(iii) स्वाध्याय,
(iv) अवलोकन,
(v) निदिध्यासन,
(vi) प्रयोग,
(vii) मनन,
(viii) व्याख्यान,
(ix) श्रवण,
(x) दृष्टान्त।

शिक्षक
(Teacher)

जे. कृष्णामूर्ति ने शिक्षक को अत्यन्त महत्वपूर्ण स्थान दिया है। उनके अनुसार शिक्षक अच्छे व्यक्तित्व वाला एकीकृत मानव होना चाहिए। उसे धैर्य का प्रतीक होना चाहिए। उसका व्यवहार छात्रों से मैत्रीपूर्ण होना चाहिए। छात्रों को स्वयं सीखने के लिए प्रेरित करना चाहिए। कृष्णामूर्ति का विचार है कि एक आदर्श शिक्षक वही है जो सत्ता व राजनीति के भ्रष्ट प्रभाव से दूर रहकर अपना शिक्षण कार्य पूर्ण ईमानदारी व निष्ठा से करे। पढ़ाने, बताने तथा सिखाने का कार्य करे तथा स्वार्थपरता एवं अहंकार को समझने तथा उनसे मुक्ति पाने में अपने शिष्यों की सहायता करे। उनका कहना था कि वर्तमान शिक्षा की प्रकृति पूरी तरह प्रतियोगिता, प्रतिस्पर्धा, महत्वाकांक्षा और बाह्य सम्पन्नता का संवर्धन करने में सहायता कर रही है। कृष्णामूर्ति शिक्षकों से अपेक्षा करते हैं कि वे इस प्रकार की शिक्षा के हानिकारक परिणामों एवं इसके प्रभावों को गम्भीरता से समझें तथा इससे मानवता को होने वाले दुष्परिणामों से बचाने में योगदान करें। कृष्णामूर्ति ऐसे शिक्षक के पक्षधर थे जिसमें निम्नलिखित योग्यताओं का समावेश हो -

1. वह सृजनशील होना चाहिए।
2. शिक्षक को तकनीकी का समुचित ज्ञान होना चाहिए।
3. शिक्षक. ऐसा हो जो छात्रों का पथ प्रर्दशन करे तथा उसका व्यवहार मित्रतापूर्ण हो।
4. शिक्षक को विद्याथियों में छुपी हुई प्रतिभा को उजागर करने वाला होना चाहिए।
5. शिक्षक में बालकों की रचनात्मक शक्तियों का विकास करने की योग्यता होनी चाहिए।
6. शिक्षक में ऐसा वातावरण उत्पन्न करने की योग्यता होनी चाहिए जिससे छात्र स्व-अनुभव द्वारा सफलतापूर्वक सीख सकें।
7. शिक्षक इतना परिपक्व हो कि वह छात्रों को भली-भाँति समझ सके।

शिक्षार्थी
(Student )

कृष्णामूर्ति शिक्षा प्रक्रिया में शिक्षार्थी को भी महत्वपूर्ण मानते हैं। उनका मत है कि विद्यार्थी ऐसा होना चाहिए जो शिक्षक को सम्मान दे। उसमें आत्म-दृढ़ता का समावेश होना चाहिए। वह शारीरिक व समाजिक रूप से पूर्णतया स्वस्थ होना चाहिए। उसे निडर होना चाहिए। छात्र को अपने शिक्षकों के ज्ञान व अनुभव से शिक्षा लेनी चाहिए तथा सत्य की खोज के लिए सदैव तत्पर रहना चाहिए।

कृष्णामूर्ति का कहना है कि शिक्षार्थी को बाल्यावस्था से ही उसके व्यक्तित्व के विकास हेतु पूर्णतया स्वतन्त्र छोड़ देना चाहिए। उस पर किसी प्रकार का बन्धन नहीं होना चाहिए। यदि शिक्षार्थी बन्धन मुक्त होगा तो वह परिपक्व होगा तथा वह हर क्षेत्र में अनुसंधान करेगा।

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    अनुक्रम

  1. प्रश्न- शिक्षा की अवधारणा बताइये तथा इसकी परिभाषाएँ देते हुए इसकी विशेषताएँ स्पष्ट कीजिए।
  2. प्रश्न- शिक्षा का शाब्दिक अर्थ स्पष्ट करते हुए इसके संकुचित, व्यापक एवं वास्तविक अर्थ को स्पष्ट कीजिए।
  3. प्रश्न- शिक्षा के विभिन्न प्रकारों को समझाइए। शिक्षा तथा साक्षरता व अनुदेशन में क्या मूलभूत अन्तर है ?
  4. प्रश्न- भारतीय शिक्षा में आज संकटावस्था की क्या प्रकृति है ? इसके कारणों व स्रोतों का समुचित विश्लेषण प्रस्तुत कीजिए।
  5. प्रश्न- शिक्षा के उद्देश्य को निर्धारित करना शिक्षक के लिए आवश्यक है, क्यों ?
  6. प्रश्न- शिक्षा के वैयक्तिक एवं सामाजिक उद्देश्यों की विवेचना कीजिए तथा इन दोनों उद्देश्यों में समन्वय को समझाइए।
  7. प्रश्न- "शिक्षा एक त्रिमुखी प्रक्रिया है।' जॉन डीवी के इस कथन से आप कहाँ तक सहमत हैं ?
  8. प्रश्न- शिक्षा के विषय-विस्तार को संक्षेप में लिखिए।
  9. प्रश्न- शिक्षा एक द्विमुखी प्रक्रिया है। स्पष्ट कीजिए।
  10. प्रश्न- शिक्षा के साधनों से आप क्या समझते हैं ? शिक्षा के विभिन्न साधनों का संक्षेप में वर्णन कीजिए।
  11. प्रश्न- ब्राउन ने शिक्षा के अभिकरणों को कितने भागों में बाँटा है ? प्रत्येक का वर्णन कीजिए।
  12. प्रश्न- शिक्षा के एक साधन के रूप में परिवार का क्या महत्व है ? बालक की शिक्षा को अधिक प्रभावशाली बनाने के लिए घर व विद्यालय को निकट लाने के उपाय बताइए।
  13. प्रश्न- "घर और पाठशाला में सामंजस्य न स्थापित करना बालक के साथ अनहोनी करना है।' रॉस के इस कथन की पुष्टि कीजिए।
  14. प्रश्न- जनसंचार का क्या अर्थ है ? जनसंचार की परिभाषा देते हुए इसकी महत्ता का विश्लेषण कीजिए।
  15. प्रश्न- दूरसंचार के विषय में आप क्या जानते हैं ? इस सम्बन्ध में विस्तृत जानकारी दीजिए।
  16. प्रश्न- दूरसंचार के प्रमुख साधनों का वर्णन कीजिए।
  17. प्रश्न- बालक की शिक्षा के विकास में संचार के साधन किस प्रकार सहायक हैं ? उदाहरणों सहित स्पष्ट कीजिए।
  18. प्रश्न- इन्टरनेट की विशेषताओं का समीक्षात्मक विश्लेषण कीजिए।
  19. प्रश्न- कम्प्यूटर किसे कहते हैं ? कम्प्यूटर के विकास का समीक्षात्मक इतिहास लिखिए।
  20. प्रश्न- सम्प्रेषण का शिक्षा में क्या महत्व है ? सम्प्रेषण की विशेषताएं लिखिए।
  21. प्रश्न- औपचारिक, निरौपचारिक और अनौपचारिक अभिकरणों के सापेक्षिक सम्बन्धों की व्याख्या कीजिए।
  22. प्रश्न- शिक्षा के अनौपचारिक साधनों में जनसंचार के साधनों का क्या योगदान है ?
  23. प्रश्न- अनौपचारिक और औपचारिक शिक्षा में अन्तर स्पष्ट कीजिए।
  24. प्रश्न- "घर, शिक्षा का सर्वोत्तम स्थान और बालक का प्रथम विद्यालय है।' समझाइए
  25. प्रश्न- जनसंचार प्रक्रिया के प्रमुख तत्वों का संक्षिप्त वर्णन कीजिए।
  26. प्रश्न- जनसंचार माध्यमों की उपयोगिता पर टिप्पणी लिखिए।
  27. प्रश्न- इंटरनेट के विकास की सम्भावनाओं का उल्लेख कीजिए।
  28. प्रश्न- भारत में कम्प्यूटर के उपयोग की महत्ता का उल्लेख कीजिए।
  29. प्रश्न- हिन्दी में संदेश देने वाले सामाजिक माध्यमों में 'फेसबुक' के महत्व बताइए तथा इसके खतरों के विषय में भी विश्लेषण कीजिए।
  30. प्रश्न- 'व्हाट्सअप' किस प्रकार की सेवा है ? सामाजिक माध्यमों में संदेश देने हेतु यह किस प्रकार कार्य करता है ?
  31. प्रश्न- निम्नलिखित में प्रत्येक प्रश्न के उत्तर के लिए चार-चार विकल्प दिये गये हैं, जिनमें केवल एक सही है। सही विकल्प ज्ञात कीजिए। (शिक्षा: अर्थ, अवधारणा, प्रकृति और शिक्षा के उद्देश्य)
  32. प्रश्न- निम्नलिखित में प्रत्येक प्रश्न के उत्तर के लिए चार-चार विकल्प दिये गये हैं, जिनमें केवल एक सही है। सही विकल्प ज्ञात कीजिए। (शिक्षा के अभिकरण )
  33. प्रश्न- "दर्शन जिसका कार्य सूक्ष्म तथा दूरस्थ से रहता है, शिक्षा से कोई सम्बन्ध नहीं रख सकता जिसका कार्य व्यावहारिक और तात्कालिक होता है।" स्पष्ट कीजिए
  34. प्रश्न- निम्नलिखित को परिभाषित कीजिए तथा शिक्षा के लिए इनके निहितार्थ स्पष्ट कीजिए (i) तत्व - मीमांसा, (ii) ज्ञान-मीमांसा, (iii) मूल्य-मीमांसा।
  35. प्रश्न- "पदार्थों के सनातन स्वरूप का ज्ञान प्राप्त करना ही दर्शन है।' व्याख्या कीजिए।
  36. प्रश्न- आधुनिक पाश्चात्य दर्शन के लक्षण बताइए। आप आधुनिक पाश्चात्य दर्शन का जनक किसे मानते हैं ?
  37. प्रश्न- शिक्षा का दर्शन पर प्रभाव बताइये।
  38. प्रश्न- एक अध्यापक के लिए शिक्षा दर्शन की क्या उपयोगिता है ? समझाइये।
  39. प्रश्न- अनुशासन को दर्शन कैसे प्रभावित करता है ?
  40. प्रश्न- शिक्षा दर्शन से आप क्या समझते हैं ? परिभाषित कीजिए।
  41. प्रश्न- निम्नलिखित में प्रत्येक प्रश्न के उत्तर के लिए चार-चार विकल्प दिये गये हैं, जिनमें केवल एक सही है। सही विकल्प ज्ञात कीजिए। (दर्शन तथा शैक्षिक दर्शन के कार्य )
  42. प्रश्न- वेदान्त दर्शन क्या है ? वेदान्त दर्शन के सिद्धान्त बताइए।
  43. प्रश्न- वेदान्त दर्शन व शिक्षा पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए। वेदान्त दर्शन में प्रतिपादित शिक्षा के उद्देश्य, पाठ्यचर्या व शिक्षण विधियों की व्याख्या कीजिए।
  44. प्रश्न- वेदान्त दर्शन के शिक्षा में योगदान का मूल्यांकन कीजिए।
  45. प्रश्न- वेदान्त दर्शन की तत्व मीमांसा ज्ञान मीमांसा एवं मूल्य मीमांसा तथा उनके शैक्षिक अभिप्रेतार्थ की व्याख्या कीजिये।
  46. प्रश्न- वेदान्त दर्शन के अनुसार शिक्षार्थी की अवधारणा बताइए।
  47. प्रश्न- वेदान्त दर्शन व अनुशासन पर टिप्पणी लिखिए।
  48. प्रश्न- अद्वैत शिक्षा के मूल सिद्धान्त बताइए।
  49. प्रश्न- अद्वैत वेदान्त दर्शन में दी गयी ब्रह्म की अवधारणा व उसके रूप पर टिप्पणी लिखिए।
  50. प्रश्न- अद्वैत वेदान्त दर्शन के अनुसार आत्म-तत्व से क्या तात्पर्य है ?
  51. प्रश्न- जैन दर्शन से क्या तात्पर्य है ? जैन दर्शन के मूल सिद्धान्तों का वर्णन कीजिए।
  52. प्रश्न- जैन दर्शन के अनुसार 'द्रव्य' संप्रत्यय की विस्तृत विवेचना कीजिए।
  53. प्रश्न- जैन दर्शन द्वारा प्रतिपादितं शिक्षा के उद्देश्यों, पाठ्यक्रम और शिक्षण विधियों का उल्लेख कीजिए।
  54. प्रश्न- जैन दर्शन का मूल्यांकन कीजिए।
  55. प्रश्न- मूल्य निर्माण में जैन दर्शन का क्या योगदान है ?
  56. प्रश्न- अनेकान्तवाद (स्यादवाद) को समझाइए।
  57. प्रश्न- जैन दर्शन और छात्र पर टिप्पणी लिखिए।
  58. प्रश्न- बौद्ध दर्शन में प्रतिपादित शिक्षा के उद्देश्यों, पाठ्यक्रम तथा शिक्षण विधियों की व्याख्या कीजिए।
  59. प्रश्न- बौद्ध दर्शन के प्रमुख सिद्धान्त क्या-क्या हैं ?
  60. प्रश्न- बौद्ध दर्शन में शिक्षक संकल्पना पर टिप्पणी लिखिए।
  61. प्रश्न- बौद्ध दर्शन में छात्र-शिक्षक के सम्बन्ध पर अपने विचार व्यक्त कीजिए।
  62. प्रश्न- बौद्ध दर्शन में छात्र/ शिक्षार्थी की संकल्पना पर प्रकाश डालिए।
  63. प्रश्न- बौद्धकालीन शिक्षा की वर्तमान शिक्षा पद्धति में उपादेयता बताइए।
  64. प्रश्न- बौद्ध शिक्षा की विशेषताओं का उल्लेख कीजिए।
  65. प्रश्न- आदर्शवाद से आप क्या समझते हैं ? आदर्शवाद के मूलभूत सिद्धान्तों का उल्लेख कीजिए।
  66. प्रश्न- आदर्शवाद और शिक्षा पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए। आदर्शवाद के शिक्षा के उद्देश्यों, पाठ्यचर्या और शिक्षण विधियों का उल्लेख कीजिए।
  67. प्रश्न- शिक्षा दर्शन के रूप में आदर्शवाद का मूल्याँकन कीजिए।
  68. प्रश्न- "भारतीय आदर्शवादी दर्शन अद्वितीय है।" उक्त कथन पर प्रकाश डालते हुए भारतीय आदर्शवादी दर्शन की प्रकृति की विवेचना कीजिए तथा इसका पाश्चात्य आदर्शवाद से अन्तर स्पष्ट कीजिए।
  69. प्रश्न- आदर्शवाद में शिक्षक का क्या स्थान है ?
  70. प्रश्न- आदर्शवाद में शिक्षार्थी का क्या स्थान है ?
  71. प्रश्न- आदर्शवाद में विद्यालय की परिकल्पना कीजिए।
  72. प्रश्न- आदर्शवाद में अनुशासन को समझाइए।
  73. प्रश्न- वर्तमान शिक्षा पर आदर्शवादी दर्शन का प्रभाव बताइये।
  74. प्रश्न- आदर्शवाद के विभिन्न स्वरूपों का वर्णन कीजिए।
  75. प्रश्न- प्रकृतिवाद का अर्थ एवं परिभाषा दीजिए। प्रकृतिवाद के रूपों एवं सिद्धान्तों को संक्षेप में बताइए।
  76. प्रश्न- प्रकृतिवाद और शिक्षा पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए। प्रकृतिवादी शिक्षा की विशेषताएँ तथा उद्देश्य बताइए।
  77. प्रश्न- प्रकृतिवाद के शिक्षा पाठ्यक्रम और शिक्षण विधि की विवेचना कीजिए।
  78. प्रश्न- "प्रकृतिवाद आधुनिक युग में शिक्षा के क्षेत्र में बाजी हार चुका है।' इस कथन की विवेचना कीजिए।
  79. प्रश्न- आदर्शवादी अनुशासन एवं प्रकृतिवादी अनुशासन की क्या संकल्पना है ? आप किसे उचित समझते हैं और क्यों ?
  80. प्रश्न- प्रकृतिवादी और आदर्शवादी शिक्षा व्यवस्था में क्या अन्तर है ?
  81. प्रश्न- प्रकृतिवाद तथा शिक्षक पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
  82. प्रश्न- प्रकृतिवाद की तत्व मीमांसा क्या है ?
  83. प्रश्न- प्रकृतिवाद की ज्ञान मीमांसा क्या है ?
  84. प्रश्न- प्रकृतिवाद में शिक्षक एवं छात्र सम्बन्ध स्पष्ट कीजिये।
  85. प्रश्न- आदर्शवाद और प्रकृतिवाद में अनुशासन की संकल्पना किस प्रकार एक-दूसरे से भिन्न है ? सोदाहरण समझाइए।
  86. प्रश्न- प्रकृतिवादी शिक्षण विधियों पर प्रकाश डालिये।
  87. प्रश्न- प्रकृतिवादी अनुशासन पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिये।
  88. प्रश्न- शिक्षा की प्रयोजनवादी विचारधारा के प्रमुख तत्वों की विवेचना कीजिए। शिक्षा के उद्देश्यों, शिक्षण विधियों, पाठ्यक्रम, शिक्षक तथा अनुशासन के सम्बन्ध में इनके विचारों को प्रस्तुत कीजिए।
  89. प्रश्न- प्रयोजनवादियों तथा प्रकृतिवादियों द्वारा प्रतिपादित शिक्षण विधियों, शिक्षक तथा अनुशासन की तुलना कीजिए।
  90. प्रश्न- प्रयोजनवाद का मूल्यांकन कीजिए।
  91. प्रश्न- प्रयोजनवाद तथा आदर्शवाद में अन्तर स्पष्ट कीजिए।
  92. प्रश्न- यथार्थवाद का अर्थ एवं परिभाषा बताते हुए इसके मूल सिद्धान्तों का उल्लेख कीजिए।
  93. प्रश्न- शिक्षा में यथार्थवाद की प्रमुख विशेषताओं का वर्णन कीजिए तथा संक्षेप में यथार्थवाद के रूपों को बताइए।
  94. प्रश्न- यथार्थवाद क्या है ? इसकी प्रमुख विशेषताएँ लिखिए।
  95. प्रश्न- यथार्थवाद द्वारा प्रतिपादित शिक्षा के उद्देश्यों तथा शिक्षण पद्धति की विवेचना कीजिए।
  96. प्रश्न- यथार्थवाद क्या है ? उसने शिक्षा की धाराओं को किस प्रकार प्रभावित किया है ? भारतीय शिक्षा पर इसके प्रभाव का मूल्यांकन कीजिए।
  97. प्रश्न- नव यथार्थवाद पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
  98. प्रश्न- वैज्ञानिक यथार्थवाद पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
  99. प्रश्न- निम्नलिखित में प्रत्येक प्रश्न के उत्तर के लिए चार-चार विकल्प दिये गये हैं, जिनमें केवल एक सही है। सही विकल्प ज्ञात कीजिए। (भारतीय दर्शन एवं इसका योगदान : वेदान्त दर्शन)
  100. प्रश्न- निम्नलिखित में प्रत्येक प्रश्न के उत्तर के लिए चार-चार विकल्प दिये गये हैं, जिनमें केवल एक सही है। सही विकल्प ज्ञात कीजिए। (भारतीय दर्शन एवं इसका योगदान : जैन दर्शन )
  101. प्रश्न- निम्नलिखित में प्रत्येक प्रश्न के उत्तर के लिए चार-चार विकल्प दिये गये हैं, जिनमें केवल एक सही है। सही विकल्प ज्ञात कीजिए। ( भारतीय दर्शन एवं इसका योगदान : बौद्ध दर्शन )
  102. प्रश्न- निम्नलिखित में प्रत्येक प्रश्न के उत्तर के लिए चार-चार विकल्प दिये गये हैं, जिनमें केवल एक सही है। सही विकल्प ज्ञात कीजिए। (दर्शन की विचारधारा - आदर्शवाद)
  103. प्रश्न- निम्नलिखित में प्रत्येक प्रश्न के उत्तर के लिए चार-चार विकल्प दिये गये हैं, जिनमें केवल एक सही है। सही विकल्प ज्ञात कीजिए। ( प्रकृतिवाद )
  104. प्रश्न- निम्नलिखित में प्रत्येक प्रश्न के उत्तर के लिए चार-चार विकल्प दिये गये हैं, जिनमें केवल एक सही है। सही विकल्प ज्ञात कीजिए। (प्रयोजनवाद )
  105. प्रश्न- निम्नलिखित में प्रत्येक प्रश्न के उत्तर के लिए चार-चार विकल्प दिये गये हैं, जिनमें केवल एक सही है। सही विकल्प ज्ञात कीजिए। (यथार्थवाद)
  106. प्रश्न- शिक्षा के अर्थ, उद्देश्य तथा शिक्षण-विधि सम्बन्धी विचारों पर प्रकाश डालते हुए गाँधी जी के शिक्षा दर्शन का मूल्यांकन कीजिए।
  107. प्रश्न- गाँधी जी के शिक्षा दर्शन तथा शिक्षा की अवधारणा के विचारों को स्पष्ट कीजिए। उनके शैक्षिक सिद्धान्त वर्तमान भारत की प्रमुख समस्याओं का समाधान कहाँ तक कर सकते हैं ?
  108. प्रश्न- बुनियादी शिक्षा क्या है ?
  109. प्रश्न- बुनियादी शिक्षा का वर्तमान सन्दर्भ में महत्व बताइए।
  110. प्रश्न- "बुनियादी शिक्षा महात्मा गाँधी की महानतम् देन है"। समीक्षा कीजिए।
  111. प्रश्न- गाँधी जी की शिक्षा की परिभाषा की विवेचना कीजिए।
  112. प्रश्न- टैगोर के शिक्षा दर्शन का मूल्यांकन कीजिए तथा शिक्षा के उद्देश्य, शिक्षण पद्धति, पाठ्यक्रम एवं शिक्षक के स्थान के सम्बन्ध में उनके विचारों को स्पष्ट कीजिए।
  113. प्रश्न- टैगोर का शिक्षा में योगदान बताइए।
  114. प्रश्न- विश्व भारती का संक्षिप्त वर्णन कीजिए।
  115. प्रश्न- शान्ति निकेतन की प्रमुख विशेषताएँ क्या हैं ? आप कैसे कह सकते हैं कि यह शिक्षा में एक प्रयोग है ?
  116. प्रश्न- टैगोर का मानवतावादी प्रकृतिवाद पर टिप्पणी लिखिए।
  117. प्रश्न- शिक्षक प्रशिक्षक के रूप में गिज्जूभाई की विशेषताओं का वर्णन कीजिए तथा इनके सिद्धान्तों का उल्लेख कीजिए।
  118. प्रश्न- गिज्जूभाई के शैक्षिक विचारों का उल्लेख कीजिए।
  119. प्रश्न- गिज्जूभाई के शैक्षिक प्रयोगों का वर्णन कीजिए।
  120. प्रश्न- गिज्जूभाई कृत 'प्राथमिक शाला में भाषा शिक्षा' पर टिप्पणी लिखिए।
  121. प्रश्न- शिक्षा के अर्थ एवं उद्देश्यों, पाठ्यक्रम एवं शिक्षण विधि को स्पष्ट करते हुए स्वामी विवेकानन्द के शिक्षा दर्शन की व्याख्या कीजिए।
  122. प्रश्न- स्वामी विवेकानन्द के अनुसार अनुशासन का अर्थ बताइए। शिक्षक, शिक्षार्थी तथा विद्यालय के सम्बन्ध में स्वामी जी के विचारों को स्पष्ट कीजिए।
  123. प्रश्न- स्त्री शिक्षा के सम्बन्ध में विवेकानन्द के क्या योगदान हैं ? लिखिए।
  124. प्रश्न- जन-शिक्षा के विषय में स्वामी विवेकानन्द के विचार बताइए।
  125. प्रश्न- स्वामी विवेकानन्द की मानव निर्माणकारी शिक्षा क्या है ?
  126. प्रश्न- शिक्षा का अर्थ एवं उद्देश्यों, पाठ्यक्रम, शिक्षण-विधि, शिक्षक का स्थान, शिक्षार्थी को स्पष्ट करते हुए जे. कृष्णामूर्ति के शैक्षिक विचारों की व्याख्या कीजिए।
  127. प्रश्न- जे. कृष्णमूर्ति के जीवन दर्शन पर टिप्पणी लिखिए।
  128. प्रश्न- जे. कृष्णामूर्ति के विद्यालय की संकल्पना पर प्रकाश डालिए।
  129. प्रश्न- प्लेटो के शिक्षा दर्शन पर प्रकाश डालिए।
  130. प्रश्न- प्लेटो के शिक्षा सिद्धान्त की आलोचना तथा उसके शिक्षा जगत पर प्रभाव का उल्लेख कीजिए।
  131. प्रश्न- प्लेटो का शिक्षा में योगदान बताइए।
  132. प्रश्न- स्त्री शिक्षा तथा दासों की शिक्षा के विषय में प्लेटो के विचार स्पष्ट कीजिए।
  133. प्रश्न- प्रकृतिवाद के सन्दर्भ में रूसो के विचारों का वर्णन कीजिए।
  134. प्रश्न- मानव विकास की विभिन्न अवस्थाओं हेतु रूसो द्वारा प्रतिपादित शिक्षा योजना का संक्षिप्त वर्णन कीजिए।
  135. प्रश्न- रूसो की 'निषेधात्मक शिक्षा' की संकल्पना क्या है ? सोदाहरण समझाइए।
  136. प्रश्न- रूसो के प्रमुख शैक्षिक विचार क्या हैं ?
  137. प्रश्न- पालो फ्रेरे का जीवन परिचय लिखिए। इनके जीवन की दो प्रमुख घटनाएँ कौन-सी हैं जिन्होंने इनको बहुत अधिक प्रभावित किया ?
  138. प्रश्न- फ्रेरे के जीवन की दो मुख्य घटनाएँ बताइये जिनसे वह बहुत प्रभावित हुआ।
  139. प्रश्न- फ्रेरे के पाठ्यक्रम तथा शिक्षण विधि पर विचार स्पष्ट कीजिए।
  140. प्रश्न- फ्रेरे के शिक्षण विधि सम्बन्धी विचारों को स्पष्ट कीजिए।
  141. प्रश्न- फ्रेरे के शैक्षिक आदर्श क्या हैं?
  142. प्रश्न- जॉन डीवी के शिक्षा दर्शन पर प्रकाश डालते हुए उनके द्वारा निर्धारित शिक्षा व्यवस्था के प्रत्येक पहलू को स्पष्ट कीजिए।
  143. प्रश्न- जॉन डीवी के उपयोगिता शिक्षा सिद्धान्त को स्पष्ट कीजिए।
  144. प्रश्न- निम्नलिखित में प्रत्येक प्रश्न के उत्तर के लिए चार-चार विकल्प दिये गये हैं, जिनमें केवल एक सही है। सही विकल्प ज्ञात कीजिए। (भारतीय शैक्षिक विचारक : महात्मा गाँधी)
  145. प्रश्न- निम्नलिखित में प्रत्येक प्रश्न के उत्तर के लिए चार-चार विकल्प दिये गये हैं, जिनमें केवल एक सही है। सही विकल्प ज्ञात कीजिए। (भारतीय शैक्षिक विचारक : रवीन्द्रनाथ टैगोर)
  146. प्रश्न- निम्नलिखित में प्रत्येक प्रश्न के उत्तर के लिए चार-चार विकल्प दिये गये हैं, जिनमें केवल एक सही है। सही विकल्प ज्ञात कीजिए। (भारतीय शैक्षिक विचारक : गिज्जू भाई )
  147. प्रश्न- निम्नलिखित में प्रत्येक प्रश्न के उत्तर के लिए चार-चार विकल्प दिये गये हैं, जिनमें केवल एक सही है। सही विकल्प ज्ञात कीजिए। (भारतीय शैक्षिक विचारक : स्वामी विवेकानन्द )
  148. प्रश्न- निम्नलिखित में प्रत्येक प्रश्न के उत्तर के लिए चार-चार विकल्प दिये गये हैं, जिनमें केवल एक सही है। सही विकल्प ज्ञात कीजिए। (भारतीय शैक्षिक विचारक : जे० कृष्णमूर्ति )
  149. प्रश्न- निम्नलिखित में प्रत्येक प्रश्न के उत्तर के लिए चार-चार विकल्प दिये गये हैं, जिनमें केवल एक सही है। सही विकल्प ज्ञात कीजिए। (पाश्चात्य शैक्षिक विचारक : प्लेटो)
  150. प्रश्न- निम्नलिखित में प्रत्येक प्रश्न के उत्तर के लिए चार-चार विकल्प दिये गये हैं, जिनमें केवल एक सही है। सही विकल्प ज्ञात कीजिए। (पाश्चात्य शैक्षिक विचारक : रूसो )
  151. प्रश्न- निम्नलिखित में प्रत्येक प्रश्न के उत्तर के लिए चार-चार विकल्प दिये गये हैं, जिनमें केवल एक सही है। सही विकल्प ज्ञात कीजिए। (पाश्चात्य शैक्षिक विचारक : पाउलो फ्रेइरे)
  152. प्रश्न- निम्नलिखित में प्रत्येक प्रश्न के उत्तर के लिए चार-चार विकल्प दिये गये हैं, जिनमें केवल एक सही है। सही विकल्प ज्ञात कीजिए। (पाश्चात्य शैक्षिक विचारक : जॉन ड्यूवी )

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